मिज़ाज-ए-इश्क
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Friday, July 31, 2015
कश्ती एक जरिया
कश्तियों तक
खुद को न समेट ऐ मुसाफिर,
यह सफ़र है समन्दर का
और तेरी कश्ती एक जरिया।
और ऐसे सफ़र पर
साहिल की बात करना
...
एक बेईमानी है।
.....अनिल कुमार 'अलीन'
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