Friday, September 11, 2015

हकीकत न दिखाओ मर जाऊंगा।

 





















यकीनन ख़ाक सहराओं की तूने उड़ा रक्खी होगी,
मेरी तन्हाई ऐसे किसी तिनके की मोहताज़ नहीं।
---सूफी ध्यान श्री

मुद्दतोँ बाद ख्वाब आँखों से ओझल हुए हैं यारों
ज़माने की हकीकत न दिखाओ मर जाऊंगा।
-----सूफ़ी ध्यान श्री

बड़ी मुश्किल से नींद से जागा हूँ यारों
ख्वाब न दिखाओ फिर से सो जाऊँगा।
.........सूफ़ी ध्यान श्री

भला क्योंकर न हो,
उन्हें उजालों से परहेज
जो रात के साये में जीते हैं।
कुछ अजीब हैं शख्स वे
जो गिरवी रखकर इमान,...
मर्यादा के मुखौटे में जीते हैं।
----सूफ़ी ध्यान श्री

फ़साने ही फ़साने हो जहाँ हरेक फ़साने पे।
फिर मुश्किल है जुगल बंदी वहाँ जुबानों पे।। ----सूफी ध्यान

खो जाए वजूद फिर वो अपना क्या?
जुड़ा रहे खुदी से फिर उसका क्या?
अपने वजूद की दुनिया बस इतनी है,
पानी पर पानी लिखनी जितनी है।
----सूफी ध्यान श्री

क्योंकर ख्वाब आये पलकों की दहलीज पर,
जब आँखों की नींद तक चुरा गया है कोई।
हर वक़्त ढूढ़ता रहता हूँ खुद को, खोकर उसमे
जब से पराया कह कर अपना बना गया है कोई।।
-----सूफी ध्यान श्री