Monday, August 17, 2015

खुद का भ्रम बहुत है

खुद का भ्रम बहुत है ख़ुदा के होने के लिए।
ख़ुदा का भ्रम पैदा न कर खुद के होने के लिए।
............अनिल कुमार 'अलीन'.............

 

Sunday, August 9, 2015

तुम्हारी रचनाएँ तुम्हारी ही तरह झूठी है

गर लाइक करते हो कि मैं भी करूँगा एक दिन,
फिर तो थक जाओगे एक दिन यूँ ही करते-करते।

तुम्हारे जिन्दा होने की सबब गर कुछ हो तो लू
कमबख्त यहाँ साँस भी लेते हो तो डरते-डरते।

वक्त रहते बंद करो साहित्य में खुद को गिराना
वरना मर जाओगे एक दिन यूँ ही मरते-मरते ।

लाख ढक के रखो मर्यादा में इस गंदगी को  तुम
ऊब जाओगे एक दिन खुद से इसे करते-करते।

तुम्हारी रचनाएँ तुम्हारी ही तरह झूठी है अलीन
कीड़े पड़ जायेंगे इसमें विचारों के ठहरते-ठहरते।
                                                                                       ……अनिल कुमार 'अलीन'……  

Thursday, August 6, 2015

मसीहा मोहब्बत का

वीराने में,
ज़िन्दगी से थका,
हारा,
सो रहा था,
लम्बी नींद में,
वह मसीहा,

मोहब्ब्बत का ,
मोहब्बत में,
जाने किसके.

वह विराना,
जो गवाह है,
चंद चीखों
और सैकड़ों प्रहारों के,
जो पड़े थे कभी,
ख़ामोशी पे जिसके.

सर कुचलने वाले,
अपनी बदसलूकी
और बेरहमी पर,
सर झुकाए,
खड़े थे,
आगे जिसके,
गवाह थे,
बेगुनाह होने के उसके.

मोहब्बत का मसीहा

वह,

रात की ख़ामोशी,
जीने की चाह,
पर दर्द भरी आह,
आह,
जिसे सुनकर,
सितारे भी,
अश्क बहाए,
नभ के.

दुआएं,
लाखों लबों की,
कुबूल होती वहाँ,
जहाँ पड़ी,
एक अधूरी दुआ,
लब पे जिसके.

यक़ीनन,
जिंदगी से,
वो नहीं,
बल्कि जिंदगी,
हारी उससे,
अबतलक,
पूरी कायनात,
दोषी है जिसके

अनिल कुमार ‘अलीन’

Saturday, August 1, 2015

अदब बादलों की

 

 

 

 

 

यह अदब है बादलों की, तुझे भिगोने की 'अलीन'

बरसती बूंदों से खुद को छुपाने की गुस्ताखी न कर।

............अनिल कुमार 'अलीन'.............


शराब ऐसी हो कि चढ़कर न उतरे ता-उम्र।
उतर जाए समय के साथ फिर वो शराब नहीं।

............अनिल कुमार 'अलीन'.............

मृत्यु! एक अफवाह हैं

एक अफवाह हैं जिन्दों की फैलाई हुई।
मृत्यु एक झूठ है उसे सच का नाम न दो।
गर मुर्दों की अनुभूति है तो मुर्दे ही जाने
गैर के अनुभवों को कोई ऐसा नाम न दो।
जिन्दा हो गर तो बाते करो जिंदगी की ...
यहाँ मरे होने की खुद को इल्जाम न दो।
एक सच ढंग से बोला नहीं जाता तुमसे,
कम से कम यूँ झूठों को सरेआम न दो।
..........अनिल कुमार 'अलीन'...........


(चित्र गूगल इमेज साभार)