मिजाज़-ए-इश्क:

मिजाज़-ए-इश्क... मूल रूप से युवा वर्ग के भावनाओं को अभिव्यक्त करती हुई परंपरागत विधाओं से मुक्त, मेरी शायरी है.

मिजाज़-ए-इश्क... जख्मी दिलों की बंजर भूमि पर अंकुरित होने वाले बीज से जन्मा वह वट वृक्ष है जिसके छाँव में प्यार पल-पल जवां होता है.

मिजाज़-ए-इश्क... वह साज है, जो जरा सा छेड़ने पर बज उठे और पूरी कायनात संगीतमय हो जाए.

मिजाज़-ए-इश्क... दर्द में डूबें दिलों के आखों से निकलने वाला वह अश्क है, जो एक पल में पूरी कायनात को डुबो दे.

मिजाज़-ए-इश्क... मेरे प्यार ‘अन्जानी’ के प्रति समर्पण और इबादत है, जो हरेक युग व समय में प्रेम के विभिन्न आयामों मिलन, विरह, ध्यान, सुमिरन आदि से युक्त एक नवरूप व नवगुण धारण कर अनवरत अमर्त्य बना हुआ है.

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