एक अफवाह हैं जिन्दों की फैलाई हुई।
मृत्यु एक झूठ है उसे सच का नाम न दो।
गर मुर्दों की अनुभूति है तो मुर्दे ही जाने
गैर के अनुभवों को कोई ऐसा नाम न दो।
जिन्दा हो गर तो बाते करो जिंदगी की ...
यहाँ मरे होने की खुद को इल्जाम न दो।
एक सच ढंग से बोला नहीं जाता तुमसे,
कम से कम यूँ झूठों को सरेआम न दो।
..........अनिल कुमार 'अलीन'...........
(चित्र गूगल इमेज साभार)
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