१.
कितनी खूबसूरत है गुस्ताखी मेरी,
खुद को मिटाकर
तुम्हारे होने का सबब ढूढ़ता हुँ.
२.
अब तो इश्क़ मेरा बाजार नज़र आता है.
कोई इन्सुरेंस तो कोई पिज़्ज़ा लिए आता है.
३.
दोस्ती किसी फ़क़ीर की दुआओं की तरह,
लगे तो हालात बदल जाता है.
न लगे तो कायनात बदल जाता है.
४.
दर्द को निचोड़ कर दवा जो बनाता है.
वह शख्स यहाँ शायर कहलाता है.
…अनिल कुमार 'अलीन'…
कितनी खूबसूरत है गुस्ताखी मेरी,
खुद को मिटाकर
तुम्हारे होने का सबब ढूढ़ता हुँ.
२.
अब तो इश्क़ मेरा बाजार नज़र आता है.
कोई इन्सुरेंस तो कोई पिज़्ज़ा लिए आता है.
३.
दोस्ती किसी फ़क़ीर की दुआओं की तरह,
लगे तो हालात बदल जाता है.
न लगे तो कायनात बदल जाता है.
४.
दर्द को निचोड़ कर दवा जो बनाता है.
वह शख्स यहाँ शायर कहलाता है.
…अनिल कुमार 'अलीन'…
एक खूबसूरत गुस्ताखी'' आपकी बहुत रचना के रूप में प्रस्तुत हुई है।
ReplyDeleteएक खूबसूरत गुस्ताखी'' आपकी बहुत रचना के रूप में प्रस्तुत हुई है।
ReplyDeleteshukriya.............
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