Tuesday, May 26, 2015

शहर में कैसी हवा चली मुहब्बत की



1.लगें हैं जख्म मगर ,तड़पने का इंतज़ाम नहीं,
  यह बीमारी है ला इलाज़ कोई आम नहीं।

2.जाओ किसी हकीम से मिलो मियाँ।
   हाय अल्लाह तुम्हे कौन सी बीमारी हुई?...

3. तेरे होने से सुकून से कटती जिंदगी
    वरना  यह सफर है तूफानों का 'अलीन '.

४. क्या यह कम है उम्रभर के लिए,
    मंज़िलों से दूर कहीं सफर में रहा.

५. जिंदगी किसी एक की मोहताज़ नहीं
    कि  किसी के जाने से कोई बर्बाद हो जाए .

६. गिला क्योंकर रहे दिलों के दरमियाँ ,
    चाँदनी रात में तारे डूबा नहीं करते.

७.  जिसको देखो कैद करने के फ़िराक़ में है,
      उड़ते पंछियों को
     शहर में कैसी हवा चली मुहब्बत की।

८.  एक रोज पूछा उनसे,
     हँसते हुए आँखों में
     आँसुओ का सबब क्या है?
     वो  मुस्कुराकर बोले,
     पहले यह बताओ  कि
     इसमें अज़ब क्या है?

९. तुम्हारी अहमियत मुझसे भला किसे मालूम है अलीन,
    सब कुछ लुटाकर  यहाँ जो तुम्हें पाया हैं.

१०. दुआ  माँगना हैं तो उठाओ हाथ औरो के लिए,
      मांग के मौत अपना औरों को न रुलाओ यारो.

११. अल्लाह जिंदगी से इतनी हमदर्दी क्यों
      उम्मीद नहीं फिर भी उसी को याद करते हैं.

१२.  किसी के याद में मरने से अच्छा है,
       किसी मरते हुए को बचाओ यारो.

१३.  वयां  कर लेता  हूँ  दिल के जज्बातों को लफ्जों में,
       थमे पलों को पन्नों में शायरी का नाम न दो.

१४.  दिल अगर रखते हो तो धड़कनें दो,
       अपने एहसासों को एक  खूबसूरत नाम दो.
      
१५.  कामयाबी के मायने से अनभ्ग्य हो दोस्त
       वरना एक झूठ को सच का नाम न देते.

१६.  ढूढ़ा यूँ खुद को भुलाकर कि
       आइनों का हम पर ऐतबार न रहा.

१७. नसों में अब भी दौड़ता है लहूँ बनकर,
      झूठा इलज़ाम है कि मैंने उसे ठुकराया है है.

१८.  इश्क में हर कोई खुद को खुद बताता है,
       अब तो मिज़ाजे इश्क लेकर आये  कोई.

१९.  ख़ुदा का शुक्र जो बनाया मुझे हर किसी के लिए,
       किसी एक का हो जाऊ इतना खुद गर्ज़ नहीं.

२०.  कलतलक जो चट्टानों के तरफदार थे अलीन
       आज उन्हें हवाओं की तरह बदलते देखा है.

२१.  किस्से लाख हो मशहूर हक़ीकत  हो नहीं सकते.
   
                .......अनिल कुमार 'अलीन'.......

No comments:

Post a Comment