Sunday, May 17, 2015

जज्बात

१.
 दोस्ती करने की बात नादानी है,
नफरत करने की बात बेईमानी है।
गुस्सा करने की बात शैतानी  है,
प्यार करने की बात बचकानी है।
क्योंकि...
दोस्ती और प्यार कभी किया नहीं जाता,
यह अलग बात है कि गर हो गया
तो फिर रहा नहीं जाता।
और जहाँ यह दोनों है
वहाँ नफरत और गुस्सा हो नहीं सकता।
दोस्ती जैसे ओंस की बूँदें
जो शुष्क धरा को नम करती है।
और प्यार एक इबादत
जो एक रूह से होकर दूसरे रूह तक जाता।
 
२.
और हम इतने अक्लमंद तो नहीं पर जिस उलझन को देख ले सुलझ जाती है।

३.
जब गुरुर होना खुद पे आम बात है,
फिर भला चाहत तुम्हारी खास कैसे?
नहीं तुम कोई फरेबी हो, चाहत हो नहीं सकते।
चाहत तो इबादत है, इबादत है......
भला इबादत में गुरुर कैसे?......

४.
यदि गुरुर-ए-इश्क है अब भी दुनिया में ,
तो उससे जाकर कह दे कोई,
अब भी जिन्दा है इश्क उसकी चाह में मरने को ।

५.
अजीब बात है हँसते हुए चेहरे और शराबी आखों की,
कि वो नबाबी शान और दोस्तों के लिए जान रखता है।
क्योंकर कोई ऐतबार करे कोई उसकी बातोँ पर 'अलीन'
क्या कोई समंदर में भी सैलाब रखता है.....

५.

कैसे कोई चाहे हकीम-ए-मुहब्बत को,
जन्नत मिलता है यहाँ बीमार हो जाने पर।
ढूढ़ तो लाऊ हकीम एक तेरे खातिर,
पर वो भी बीमार हो जायेगा यहाँ आने पर।....

…………  अनिल कुमार 'अलीन'………… 
 
 

No comments:

Post a Comment