गर लाइक करते हो कि मैं भी करूँगा एक दिन,
फिर तो थक जाओगे एक दिन यूँ ही करते-करते।
तुम्हारे जिन्दा होने की सबब गर कुछ हो तो लू
कमबख्त यहाँ साँस भी लेते हो तो डरते-डरते।
वक्त रहते बंद करो साहित्य में खुद को गिराना
वरना मर जाओगे एक दिन यूँ ही मरते-मरते ।
लाख ढक के रखो मर्यादा में इस गंदगी को तुम
ऊब जाओगे एक दिन खुद से इसे करते-करते।
तुम्हारी रचनाएँ तुम्हारी ही तरह झूठी है अलीन
कीड़े पड़ जायेंगे इसमें विचारों के ठहरते-ठहरते।
……अनिल कुमार 'अलीन'……
फिर तो थक जाओगे एक दिन यूँ ही करते-करते।
तुम्हारे जिन्दा होने की सबब गर कुछ हो तो लू
कमबख्त यहाँ साँस भी लेते हो तो डरते-डरते।
वक्त रहते बंद करो साहित्य में खुद को गिराना
वरना मर जाओगे एक दिन यूँ ही मरते-मरते ।
लाख ढक के रखो मर्यादा में इस गंदगी को तुम
ऊब जाओगे एक दिन खुद से इसे करते-करते।
तुम्हारी रचनाएँ तुम्हारी ही तरह झूठी है अलीन
कीड़े पड़ जायेंगे इसमें विचारों के ठहरते-ठहरते।
……अनिल कुमार 'अलीन'……
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