Thursday, August 6, 2015

मसीहा मोहब्बत का

वीराने में,
ज़िन्दगी से थका,
हारा,
सो रहा था,
लम्बी नींद में,
वह मसीहा,

मोहब्ब्बत का ,
मोहब्बत में,
जाने किसके.

वह विराना,
जो गवाह है,
चंद चीखों
और सैकड़ों प्रहारों के,
जो पड़े थे कभी,
ख़ामोशी पे जिसके.

सर कुचलने वाले,
अपनी बदसलूकी
और बेरहमी पर,
सर झुकाए,
खड़े थे,
आगे जिसके,
गवाह थे,
बेगुनाह होने के उसके.

मोहब्बत का मसीहा

वह,

रात की ख़ामोशी,
जीने की चाह,
पर दर्द भरी आह,
आह,
जिसे सुनकर,
सितारे भी,
अश्क बहाए,
नभ के.

दुआएं,
लाखों लबों की,
कुबूल होती वहाँ,
जहाँ पड़ी,
एक अधूरी दुआ,
लब पे जिसके.

यक़ीनन,
जिंदगी से,
वो नहीं,
बल्कि जिंदगी,
हारी उससे,
अबतलक,
पूरी कायनात,
दोषी है जिसके

अनिल कुमार ‘अलीन’

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